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29 May 2023 · 1 min read

शंगोल

अब ज्योत नही,इक ज्वाल जगी है!
घर से संसद तक सनातन संस्कृति,
वसुधैव कुटुम्बकम मशाल लगी है!!
नव संसद भवन मे शंगोल स्थापित,
कर हिदू संस्कृति विशाल जगी है!!
बारम्बार कर प्रणाम नही हम थकते,
तुष्टीकरण अनुयायियो आग लगी है!!
आओ ले संकल्प भारत नव निर्माण,
पुनःइतिहास जागृत ज्वाल जगी है!!

सर्वाधिकार सुरछित मौलिक रचना
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202नीरव निकुज,सिकंदरा,आगरा=282007
मो:9412443093

Language: Hindi
491 Views
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