वक़्त…
हस्तियाँ कितनी ही बनाता और मिटाता है वक़्त
रोज़ एक नए सफ़र पर जाता है वक़्त…
आदमी का बनना और बिगड़ना है उसके हाथ
मुकद्दरों से फैसलें मनवाता है वक़्त…
जो गम दिए हैं हालात-ए-जिंदगी ने बेवज़ह
उन जख्मों को सहना सिखाता है वक़्त …
कुछ होने का गुरुर जो आप कीजिएगा
तो औकात भरी महफ़िल में दिखाता है वक़्त…
वक़्त के खेल को समझ ले ‘अर्पिता’
फिर देख किस तरह कद्र तेरी बढ़ाता है वक़्त…
– ✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
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