वक़्त चलता चाल कितनी शातिराना है
वक़्त चलता चाल कितनी शातिराना है
पैंतरा इसका वही अपना पुराना है
जाल सुख दुख के सदा रहता बिछाता है
जन्म हो या मृत्यु रखता सबसे नाता है
काम ही इसका सभी को आजमाना है
वक़्त चलता चाल कितनी शातिराना है
ये नहीं रहता किसी भी एक का होकर
पा नहीं सकता दुबारा पल कोई खोकर
नाचता इसके इशारे पे जमाना है
वक़्त चलता चाल कितनी शातिराना है
वक़्त के अनुरूप ही मौसम बदलते हैं
लोग मिलते हैं कहीं देखो बिछड़ते हैं
हाथ में इसके हराना या जिताना है
वक़्त चलता चाल कितनी शातिराना है
21-06-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद