व्हाट्सएप युग का प्रेम
व्हाट्स ऐप खोला
तेरी चैट पर वो छोटा हरा गोला
तीसरे दिन उभरा है
पतझड़ के आख़िरी पट्टे सा
झर जायेगा जो हाथ लगाया
छोड़ दिया है
ताकि बना रहे अहसास
तुम अभी तक जुड़े हो
हरियाली बाकी है
देख कर भी नहीं पढ़ा
महसूस सकूँ
तुमने कुछ भेजा है-
मन की बात !
तनिक सा प्यार !!
या फर्ज़ निभाया है
किसी के सन्देश को
आगे सरकाया है !!!
चैट खोलते ही
हरा रंग बुझ जाएगा
हरा पत्ता पतझड़ सा
झड़ जायेगा
उस आख़िरी
पत्ते को बचाया है
निराशा को
भरम का
दुशाला ओढ़ाया है