व्रत
व्रत रखना है
ईश्वर को याद रखने का
व्रत है शब्दो की गरीमा को
बचाये रखने की ,,,,,,,,
व्रत है अहसासो को
समेटने का ,,,,,,
व्रत है अपने आप को
न बिखरने का ,,,,,
व्रत है मूक रहकर
अपने आप को पेश करने का
व्रत है कायनात के
गुणो को धारण करना
व्रत है जीव निर्जीव को
नियमो से टूटने न देना
व्रत है आँखो की
दिव्यता को महसुस करना
व्रत है जो महसुस व अहसास है
उनको कलमबद्ध करना
शीमा व्रत है तेरा अपने आने के
उद्देश्य को हमेशा याद रखना