Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2021 · 1 min read

व्याकरण सुंदरी*

घुँघरू तेरे छन्द सुनाए,
हैं होठ तेरे मधुशाला।
नाम अनेकों संज्ञा लेके,
वर्णों की पहनी माला।

ध्वनि करधन के शब्द बने,
तू सौंदर्य की पर्यायवाची।
लचक कमर से रस बरसे,
अलंकारयुक्त मयूरी भाती।

नहीं है अतिशयोक्ति कहीं,
कहने में व्याकरण सुंदरी।
चंचल,चपला,चाँदनी,चमेली,
तू अनुप्रास से भरी पड़ी।

संज्ञा से फीके पड़ जाते,
आते जो आगे सर्वनाम।
और ढूंढे नहीं मिल पाते,
मुस्कानों के प्रविशेषण नाम।

जस सूर्योदय कपोल दमके,
रक्तमणि उपमा लगे भली।
जुल्फ लटें मंडराए ऐसे,
भौहों से विस्मय तीर चली।

आकृति डमरूघनाक्षरी जस,
कम पड़ जाते हैं विशेषण।
अदा समानार्थी शब्दों जस,
वहाँ श्लेष का हो अन्वेषण।

उपसर्ग भी चिन्तित होते,
कि कैसे बैठे आगे तेरे।
और प्रत्यय प्रेमी बनकर,
भाव भंगिमा को हैं घेरे।

रूपानंद की संधि सजी है,
है चन्द्रबिन्दु ललाट सोहे।
बल देते निपात भी तुझको,
मृगनयनी तो समास मोहे।

आंखों का तारा हो मेरी,
मुहावरों की प्यारी रानी।
आस लगाये विलोके धरा,
नैनो में भरदो शर्म का पानी।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
अशोक शर्मा, कुशीनगर,उ.प्र.
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 307 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आंख बंद करके जिसको देखना आ गया,
आंख बंद करके जिसको देखना आ गया,
Ashwini Jha
मेरी जिंदगी में मेरा किरदार बस इतना ही था कि कुछ अच्छा कर सकूँ
मेरी जिंदगी में मेरा किरदार बस इतना ही था कि कुछ अच्छा कर सकूँ
Jitendra kumar
खानदानी चाहत में राहत🌷
खानदानी चाहत में राहत🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जानता हूं
जानता हूं
Er. Sanjay Shrivastava
होली की पौराणिक कथाएँ।।।
होली की पौराणिक कथाएँ।।।
Jyoti Khari
वक्त नहीं
वक्त नहीं
Vandna Thakur
राजनीति
राजनीति
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दिल को दिल से खुशी होती है
दिल को दिल से खुशी होती है
shabina. Naaz
यात्रा ब्लॉग
यात्रा ब्लॉग
Mukesh Kumar Rishi Verma
दुःख, दर्द, द्वन्द्व, अपमान, अश्रु
दुःख, दर्द, द्वन्द्व, अपमान, अश्रु
Shweta Soni
#कहानी-
#कहानी-
*Author प्रणय प्रभात*
शामें दर शाम गुजरती जा रहीं हैं।
शामें दर शाम गुजरती जा रहीं हैं।
शिव प्रताप लोधी
पहला सुख निरोगी काया
पहला सुख निरोगी काया
जगदीश लववंशी
कवि मोशाय।
कवि मोशाय।
Neelam Sharma
*सर्दी की धूप*
*सर्दी की धूप*
Dr. Priya Gupta
*यौगिक क्रिया सा ये कवि दल*
*यौगिक क्रिया सा ये कवि दल*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
पूर्वार्थ
चले न कोई साथ जब,
चले न कोई साथ जब,
sushil sarna
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
सत्य कुमार प्रेमी
बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
Sahil Ahmad
शिक्षित बनो शिक्षा से
शिक्षित बनो शिक्षा से
gurudeenverma198
त्याग
त्याग
Punam Pande
*मृत्यु-चिंतन(हास्य व्यंग्य)*
*मृत्यु-चिंतन(हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
Rj Anand Prajapati
2462.पूर्णिका
2462.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
I'm not proud
I'm not proud
VINOD CHAUHAN
रिश्ता
रिश्ता
Santosh Shrivastava
मां के शब्द चित्र
मां के शब्द चित्र
Suryakant Dwivedi
दरदू
दरदू
Neeraj Agarwal
Loading...