*व्यर्थ में केवल नहीं, मशहूर होना चाहिए【गीतिका】*
व्यर्थ में केवल नहीं, मशहूर होना चाहिए【गीतिका】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
व्यर्थ में केवल नहीं, मशहूर होना चाहिए
साधना से व्यक्ति को, भरपूर होना चाहिए
(2)
जिंदगी में आप, शिखरों को भले जितने छुऍं
जिंदगी अभिमान से, पर दूर होना चाहिए
(3)
एक दिन चढ़ता हुआ, सूरज भी ढल ही जाएगा
इसलिए पद के न मद में, चूर होना चाहिए
(4)
मृत्यु के भी बाद, पापों की सजा मिलती ही है
सोच कर इंसान को, मत क्रूर होना चाहिए
(5)
दूसरों के दर्द को हम, बाँट लें मिलकर सभी
हर शहर – हर गाँव का, दस्तूर होना चाहिए
————————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451