हास्य व्यंग्य
क्यों एक जनवरी को नव वर्ष ना मनाऊँ।
क्या चाहते हो सबमें अपनी हँसी कराऊँ।।
क्यों एक०——
1️⃣
एस पी डी एम कलेक्टर मज़दूर शाह नौकर
हैं केक काटते सब दे चोट सभ्यता पर
मैं नाम कैसे अपना इनमें नहीं लिखाऊँ
क्या चाहते हो सबमें अपनी हँसी कराऊँ
2️⃣
नब्बे बरस तलक सब जिनकी किये सलामी
क्या आज मन से उनकी सब छोड़ दें ग़ुलामी
ईसा मसीह पर क्यों मैं ना सुमन चढाऊँ
क्या चाहते हो सबमें अपनी हँसी कराऊँ
3️⃣
मधुमास है न कोयल भौंरे न तितलियाँ हैं
संगीत से नहीं कम ये शीत लहरियाँ हैं
डी जे पे अब ग़ुलामी के गीत क्यों न गाऊँ
क्या चाहते हो सबमें अपनी हँसी कराऊँ
5️⃣
अब चैत्र प्रतिपदा में रक्खा ही क्या भला है
ठण्डी न बर्फ ओले ठिठुरन का ना मज़ा है
कैसे न जनवरी को अपने गले लगाऊँ
क्या चाहते हो सबमें अपनी हँसी कराऊँ
5️⃣
अँग्रेज के अभी भी मन से ग़ुलाम सब हैं
आज़ाद तो वतन है आज़ाद लोग कब हैं
इतना बड़ा ये प्रीतम त्योहार ना मनाऊँ
क्या चाहते हो सबमें अपनी हँसी कराऊँ
क्यों एक जनवरी को नव वर्ष ना मनाऊँ
क्या चाहते हो सबमें अपनी हँसी कराऊँ।।
क्यों एक०——
✍️प्रीतम श्रावस्तवी✍️✍️