व्यंग्य आपको सिखलाएगा
व्यंग्य आपको सिखलाएगा, यदि सद्ज्ञानी हो।
द्वंद्व -अचेतन दर्श,समझ लो तुम मन-मानी हो।
स्वसद्वोधालोक -प्रदाता,बनकर करे विकास।
गुरु-सम मानो उसे, तभी तुम चेतन प्राणी हो।
पं बृजेश कुमार नायक
व्यंग्य आपको सिखलाएगा, यदि सद्ज्ञानी हो।
द्वंद्व -अचेतन दर्श,समझ लो तुम मन-मानी हो।
स्वसद्वोधालोक -प्रदाता,बनकर करे विकास।
गुरु-सम मानो उसे, तभी तुम चेतन प्राणी हो।
पं बृजेश कुमार नायक