शहीद-ए-आजम भगतसिंह
वो 23 वर्ष का वीर भगत सिंह फांसी पर चढ़ गया, किसकी खातिर ,
हम हिंदुस्तानियों के ,आजादी के खातिर ,
फिर भी हम मे से कुछ लोग बोलते हैं ,
कि चरखे से आजादी आई ,
मैं पूछता हूं उन लोगों से तब चरखा कहां गया था ,
जब उन 3 नौजवानों को फांसी दी जा रही थी,
साहब केवल चरखे से आजादी आई होती,
तो भगत सिंह राजगुरु सुखदेव को फांसी नहीं दी जाती ,
और ना ही महात्मा गांधी को सरेआम गोली मारी जाती
“जिस्म पर लगे हैं
जो घाव वो फूलों के गुच्छे हैं
हां हम पागल हैं
पागल ही रहने दो केवल हम पागल ही अच्छे हैं “(शहीद भगत सिंह)