वो सबमे अनमोल रही है
चिडियां ची ची बोल रही है
उड़ने को पर तोल्र रही है
सूरज दादा निकल रहा है
किरणे मुंह को खोल रही है
उठो उठो तुम जागो बेटा
मम्मी दादी बोल रही है
प्रात:कीहबा दबा के बराबर
बो सबसे अनमोल रही है
इंद्र धनुश की प्यारी किरणे
रंग फ़ज़ा में घोल रही है
कोयल की प्यारी सी बोली
कानों में रस घोल रही है
मोल नही है उसका भी जो
पहले से अनमोल रही है
हम तो छोटे नंहे है पर
तेरी तूती बोल रही है
हाथ पकड कर आगे बढा दो
धरती गोल जो डोल रही है
कृष्णकांत गुर्जर
गाडरवारा जिला नरसिहपुर
म.प्र.7805060303