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11 Jul 2020 · 1 min read

वो शाम

वो शाम जब भी आँखो से गुजर जाती है
जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ जाती है !
ओस के सर्द होठों को चूमकर जैसे कोई
सुबह की पहली किरण मचल मचल जाती है !!

शर्मसार हो गयी थी तमन्नाओं की दुल्हन
मदहोश तेरा वो आलम देखकर !
जीस्त की हर इक लड़ी झूमी थी
तेरे बहकते होठो का फसाना सुनकर !!

लरजते होठो के हरेक अन्दाज की कसम
लगा था जैसे धड़कने वक्त की सो गयी !
फिजाए भी चुप होके सुनने लगी थी बयां तेरा
अफसानों के शहर में जिन्दगी भी थी खो गयी !!

मेरे वजूद से घुलमिल गया है वो नजारा
खुश्बू उसकी हरेक साँस में बस गयी है !
चुरा लिए हैं मैने वक्त से यह लम्हे
तेरी अमानत अब ये मेरे पास हो गयी

Language: Hindi
6 Likes · 8 Comments · 288 Views
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