#रुबाइयाँ
वो शाम सुहानी होती है , जिसकी प्यार कहानी होती है।
गर सीप छिपाए मोती तो , उल्फ़त लिए निशानी होती है।।
तुम दूर चली जाओगी तो , मार तन्हाई डालेगी मुझको।
तम पहरे दूर भगाने को , शम्मा रोज जलानी होती है।।
तू मौज़ बहारों-सी बनके , सूना चमन खिला मेरे मन का।
तू धूप नज़ारों-सी तनके , गीला दर्द सुखा मेरे तन का।।
तू ओज जवानी का साथी , तुमसे मुखपर तेज रहे हरपल।
तू नूर अदाओं का बादल , बरसाती ख़ूब मज़ा जीवन का।।
तू शोख़ हवाओं की हलचल , सावन लगे सुहाना हो कोई।
तू मस्त फ़िज़ाओं की रुनझुन , गाती मधुर तराना हो कोई।।
मैं जीत जहां भी सकता हूँ , गर तुझको पा जाऊँ मैं “प्रीतम”।
तू रीत वफ़ाओं की मंज़िल , जान कुबेर ख़ज़ाना हो कोई।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
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