” वो रावण जलाते रहे”
वो रावण जलाते रहे,
हम अपना अहम,
वो राम पूजते रहे,
हम अपना सत्य,
वो करते रहे उपासना,
माता सीता की,
हम अपना कर्म,
जीत किसकी,
हार किसकी,
अहम की या वहम की,
वो ढूंढते रहे,
जीत मिथ्या में,
हमने लिया जीत,
सत्य को ओढ़,
क्योंकि वो,
रावण जलाते रहे,
और हम अपना अहम।
© डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”