वो रात
बातों बातों में जो ढली होगी,
वो रात कितनी मनचली होगी..!
तेरी सिरहाने याद भी मेरी,
रात भर शम्मा-सी जली होगी…!!
जिससे निकला है मैय्यत मेरा,
वो तेरी घर तेरी गली होगी…!
दोस्तो को पता चला होगा,
दुश्मनों में जैसी खलबली मची होगी…!!
सबने तेरी तारीफ की होगी,
मैं चुप रहा तो ये मेरी कमी हुई होगी…!
तेरी आँखों मे झाँकने के बाद,
ये पता चला मुझे तुझे भी दुःख हुई होगी…!!
गाँव में हुई तेरी जिक्र यक़ीन हैं मुझे,
कह रहा कवि उज्ज्वल मेरे बारे में भी गाँव, मुहल्ले में ख़ूब चर्चा हुई होगी….!!
✍️ उज्ज्वल दास
(बोकारो स्टील सिटी- झारखंड)