वो रस्ते तर्क करता हूं वो मंजिल छोड़ देता हूं, जहां इज्ज़त न
वो रस्ते तर्क करता हूं वो मंजिल छोड़ देता हूं, जहां इज्ज़त नहीं मिलती वो महफिल छोड़ देता हूं, मुझे मांगे हुए साए हमेशा धूप लगते है, मैं सूरज के गले पड़ता हूं वो बादल छोड़ देता हूं, किसी से ताल्लुक यूं नहीं रखा कभी रखा कभी छोड़ दिया, मैं जिसे छोड़ देता हूं मुसलसल छोड़ देता हूं