वो भूखा ही सोया रहेगा
मैं एक बेटा हूँ, जिसकी एक बूढ़ी माँ है
उसे सम्भालने के लिये।
।
मैं पिता भी हूँ एक बच्चे का
।
एक बच्चा जो खो चुका है
अपनी माँ को महज तीन साल की उमर में।
।
मेरी माँ जो आज भी
इस बात के लिये मुझसे
झगड पड़ती है कि
मैं कुछ खाकर ही सोऊँ
चाहे कितना भी थका हारा होऊँ
।
जब मेरी माँ मुझे
जगाकर खाना खिलाकर चली जाती है तो
ये ख्याल मुझे भीतर से चीरने लगता है कि
मेरा बेटा थका हारा आकर सो गया तो
‘वो भूखा ही सोया रहेगा’
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स्वतंत्र ललिता मन्नू
नई दिल्ली