वो भगवान के रुप है केवल
आभार व्यक्त करते हैं उनको
जिनके सेवा से मिलता जीवन
रात-दिन और आठों पहर
जो करते हैं कठिन परिश्रम.
स्पंदन भरने को उर में
निज अस्तित्व को भूल जाते हैं
धर्म है जिनका सांसे बचाना
यमराज के आगे अड़ जाते हैं.
वो भगवान के रूप हैं केवल
भाग्य नहीं बदल सकते हैं
कभी कभी ईश्वर की मर्जी
उन्हें विफल करते रहते हैं.
मेहनत की उनकी कद्र न करते
लोग उन्हें पहुंचाते ठेस
भावनाओं को आहत करते
भरते उर में पीड़ा व क्लेश.
शालीनता ये दर्शाती है
चिकित्सक भी होते इंसान
संवेदनशील वो रहते हरदम
कर्तव्यनिष्ठ होते सुबहो शाम.
भारती दास ✍️