वो बोली थी, यूँ प्यार जताती जाएंगी |
वो बोली थी, यूँ प्यार जताती जाएंगी
पल-पल मेरा साथ नीभाती जाएंगी
कदम अलग हैं, दोनो के ये इक सच हैं
पर चलने को राह एक अपनाएंगी !
पर दो पल का साथ मिला फीर छुट गये
जीतने भी वादे थे सबके सब टुट गये
अंजाम रहा युँ दर्दभरा मोहाब्बत का
वो हसिन पल सपनों से भी रूठ गये !
अब समझा वो सब झुठे अफसाने थे
मुझको बहलाने के एक बहाने थे
प्यार नहीं था दिल में उनके मेरे लीए
वो तो बस फीसले लफ्जों के तराने थे
अब लगता है, अबस ईश्क में परेशान रहें
खींझ आती है खुदपे कीतने नादान रहे
समझ न पाया फर्क प्यार और व्यापार में
उफ ! वो पल कीतने हम लाचार रहें
ईकतरफा ही सही नीभाया प्यार में हमनें
सो कुछ न सही इक बात सीखाया प्यार नें
प्यार करो तो पाने की उम्मीद भी करना
पर मीलना हो लाजीमी ऐसी शर्त न रखना !
तो हर-पल जीवन के तुम मुस्काओगे
जो चाहोगे सबकुछ फीर तुम पाओगे
दर्द तुम्हें ना छु पाएंगी इक-पल फीर
मंजील “अभि” तेरे पास में खुद ही आएंगी !!