वो बचपन वाले दिन
आज बचपन की बात है करते
हवाई जहाज बनाना आज याद हैं करते
ये जहाज असली नहीं होता था फिर भी
जी जान से इसे उड़ाया करते थे
इसे कागज से बनाया करते थे
बचपन की ये बात निराली
जो न उड़ सके उसे उड़ाते
कागज़ के जहाज से हम खुद उड़ते
लाल, हरे रंग के कागज लेकर मैं
बहन भैया संग पार्क में पहुँच जाते थे
वहां हमने इन कागज के टुकड़ों को
तोड़ मोड़ कर जहाज बना उड़ाया करते थे
वह देखने में बहुत सुन्दर लगता था
भैया ने उसे हवा में उछाल दिया करते थे
और कागज का जहाज लगता जैसे उड़ता था
थोड़ी दूर उड़ता और फिर धड़ाम से नीचे आ गिरता। बहुत मजा आता था फिर भी
भैया ने मुझे भी सिखाया कि कैसे इसे उड़ाना है।
मैंने भी उस कागज के हवाई जहाज को हवा में फेंका
तो वह हवा में तैरने लगा मानो मैं पायलेट बनी थी
मानो हवा में रंग बिरंगी तितलियाँ दौड़ रही सी
मैंने आज कागज का हवाई जहाज बनाना
और उड़ाना सीखा भैया से खूब मजा आया करता था
लौट क्या आएंगे वो दिन फिर से बचपन वाले
वो कागज का जहाज बनाना और खुद पायलेट हो जाना