वो पुराने दोस्त याद आते हैं
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
मेरे सारे दोस्त तो कमीने हुआ करते थे
फिर भी न जाने क्यों हम साथ जीया करते थे
हर राज को छिपाकर दफन किया करते थे
पर समय आने पर उसको भुनाया करते थे
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
हर सुख दुःख में, साथ साथ जिया करते थे।
रिज़ल्ट आने पर घर में छिपाया करते थे
क्लास में मार एक को न पड़े तो झूठ बोला करते थे
कभी एक दूसरे से रूठ भी जाया करते थे।
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
ये बात आज बीती सी लगती हैं पर
आज भी दिल के करीब लगती हैं
जिनके बिना एक दिन भी गुजर नही थी कभी
जीवन की आपाधापी में उनके बिना बीत रही हैं
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
ये बात बस बीते समय की हो बेशक
आज भी छुप छुप के मिलवाना अपने अजीज से
और कमीनो का पूरा साथ होता था मिलाने में
तब अपनी दोस्ती पर कितना इतराया करते थे।
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
आओ आज मिले और बीती बाते याद करे
अपने जीवनसाथी के सामने सबका पर्दाफाश करे
आज एक बात फिर से मुस्कुराए मिलकर
क्या पता कल जिंदगी हो न हो।
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
आओ कमीनो मिल बैठे मचाये धमाल
करे फिर से थकी सी जिंदगी में कमाल
ओर बनाये इस वक़्त को भी बेमिशाल
आओ मिल बैठे कमीनो मचाये धमाल।
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद
घोषणा:स्वरचित रचना