Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2021 · 3 min read

— वो पक्षी कहाँ चले गए ? —

” जब करीब मैं खुद , एक छोटी सी उम्र से गुजर रहा था, मन नटखट, परन्तु जिज्ञासा से भरा हुआ, कुछ न कुछ सोच में हमेशा डूबा हुआ सा, न जाने कब शून्य में पहुँच जाता था !

अपनों के बीच बैठा हुआ, अचानक से क्या देखता हूँ, एक काली सी प्यारी सी चिडिया , मेरे घर के आँगन में चू चू कर रही है , उस ने अनायास ही मेरे शून्य हुए मन को भौतिकता में ला दिया, और क्या देखा , कि उस की चोंच में घास फूस के तिनके पड़े हुए थे और वो जमीन पर गिरने से अपनी आवाज से संबोधित कर रही थी, पर कैसे उस को दिए जाएँ वो तिनके, यह समझ से बाहर था ! पर मैंने घर के सब सदस्य जो वहां बैठे हुए थे, उन से कहा, कि यहाँ से जगह छोड़ दो, ताकि वो चिडिया वो घास फूस के तिनके को उठा सके !

बस , ” फिर क्या था ” वो चिडिया आई , और अपनी चोंच में वो तिनके उठा कर, पास ही एक तार पर लपेटने लगी, कुछ समझ नही आया, कि वो क्या कर रही है, मेरी जिज्ञासा बढ़ने लगी, वो जितनी बार आती, तिनके साथ लेकर आती, और उनको लपेटने लग जाती, आखिर क्या करना चाहती थी, यह जिज्ञासा मन में हलचल मचने लगी !!

जब जब चिडिया आती, मेरा ध्यान उस की तरफ चला जाता, मुझ को अपना न पढने का ध्यान, न होम वर्क करने का ध्यान, बस उस के द्वारा किये जा रहे काम की तरफ ध्यान जाने लगा ! कुछ ही दिनों में उस नन्ही सी चिडिया ने अपना घौसला इतना अच्छा बना दिया, कि आज मैं भी सोचता हूँ, कि हाथ से बना कर कुछ करना कितना आसान है, पर अपनी चोंच से उस को तैयार करना कितना कठिन, उस चिडिया के लिए यह सब, कितना आसान काम था, जो उस ने घौसला अपनी पूरी लगन और मेहनत के साथ तैयार कर दिया !

फिर कुछ दिन गुजरे, तो मैंने देखा, उस घोंसले में से दो नन्हे नन्हे चिडिया के बच्चों की प्यारी प्यारी सी आवाज कानो को मन्त्र मुग्ध करने लगी ! चिडिया आती, कुछ न कुछ दाना लाती, उनकी चोंच में डाल कर फुर्र से उड़ जाती, यह नजारा मैं काफी दिन तक देखता रहा, जैसे आदत सी हो गयी ! मुझ को भी इन्तेजार रहने लगा , कब चिडिया आये, दाना लाये, उनको खिलाये !

वो समय भी पास आते देखा, एक दिन वो जब नन्हे नन्हे पक्षी बड़े होकर , उस घोंसले के भीतर से बाहर झांकते थे…मन को सकून देने लगे, अपनी माँ से लेकर दाना झट से खाने लगे, बड़ा प्यारा सा लगता था, मुझ को जब मेरी नजर में वो प्यार से माँ के साथ ममता भरी निगाह से देखते थे. देखते देखते वो भी अपनी माँ के साथ उस घौंसले को विदा कर गए , न जाने किस दिशा में चले गए, पर मेरे मन की जिज्ञासा को फिर से शून्य में परिवर्तित कर के आसमान में कहीं उड़ गए, पक्षिओं के ममतामयी प्यार को देखकर , सच मन को सकून तो मिला ही, कि आखिर एक माँ ही होती है, जिस को अपने बच्चों के दुःख दर्द का पता होता है ! कब उनको दाना देना है, कब उनके साथ पास आकर अपना प्यार बांटना होता है !

इंसान की जिन्दगी में यह छोटी छोटी सी बातें, शिक्षा प्रद बन जाती हैं, और तो और आज के जीवन में ममता तो है, पर बच्चों के प्यार , बच्चों का साथ बहुत भाग्यशाली माता पिता को मिल पाता है, जबकि एक पक्षी की तरफ सब पैदा होते हैं , नन्हे नन्हे क़दमों से चलना सीखते हैं, अच्छी परवरिश के बाद, न जाने आसमान की किस दिशा में इन परिंदों की भांति उड़ जाते हैं , और छोड़ जाते हैं, माता पिता की आँखों में आँसू और इन्तेजार !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

28 Likes · 48 Comments · 1827 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
दोहा
दोहा
sushil sarna
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
Chunnu Lal Gupta
"मिलते है एक अजनबी बनकर"
Lohit Tamta
हम आगे ही देखते हैं
हम आगे ही देखते हैं
Santosh Shrivastava
लिखू आ लोक सँ जुड़ब सीखू, परंच याद रहय कखनो किनको आहत नहिं कर
लिखू आ लोक सँ जुड़ब सीखू, परंच याद रहय कखनो किनको आहत नहिं कर
DrLakshman Jha Parimal
अच्छा रहता
अच्छा रहता
Pratibha Pandey
मैं यूं ही नहीं इतराता हूं।
मैं यूं ही नहीं इतराता हूं।
नेताम आर सी
*बाल गीत (मेरा प्यारा मीत )*
*बाल गीत (मेरा प्यारा मीत )*
Rituraj shivem verma
***
*** " पापा जी उन्हें भी कुछ समझाओ न...! " ***
VEDANTA PATEL
नमामि राम की नगरी, नमामि राम की महिमा।
नमामि राम की नगरी, नमामि राम की महिमा।
डॉ.सीमा अग्रवाल
थक गया दिल
थक गया दिल
Dr fauzia Naseem shad
2610.पूर्णिका
2610.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
पानी  के छींटें में भी  दम बहुत है
पानी के छींटें में भी दम बहुत है
Paras Nath Jha
"मानद उपाधि"
Dr. Kishan tandon kranti
छोड़ कर मुझे कहा जाओगे
छोड़ कर मुझे कहा जाओगे
Anil chobisa
व्यक्ति और विचार में यदि चुनना पड़े तो विचार चुनिए। पर यदि व
व्यक्ति और विचार में यदि चुनना पड़े तो विचार चुनिए। पर यदि व
Sanjay ' शून्य'
रिश्तों में वक्त नहीं है
रिश्तों में वक्त नहीं है
पूर्वार्थ
जीवन के रंगो संग घुल मिल जाए,
जीवन के रंगो संग घुल मिल जाए,
Shashi kala vyas
एक पंथ दो काज
एक पंथ दो काज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
💐प्रेम कौतुक-540💐
💐प्रेम कौतुक-540💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
वार
वार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
गंणतंत्रदिवस
गंणतंत्रदिवस
Bodhisatva kastooriya
■ आज का विचार
■ आज का विचार
*Author प्रणय प्रभात*
कैसे रखें हम कदम,आपकी महफ़िल में
कैसे रखें हम कदम,आपकी महफ़िल में
gurudeenverma198
कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
Suryakant Dwivedi
शाश्वत सत्य
शाश्वत सत्य
Dr.Pratibha Prakash
पहला कदम
पहला कदम
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
Johnny Ahmed 'क़ैस'
#डॉ अरुण कुमार शास्त्री
#डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
खांटी कबीरपंथी / Musafir Baitha
खांटी कबीरपंथी / Musafir Baitha
Dr MusafiR BaithA
Loading...