वो न जाने कहाँ तक मुझको आजमाएंगे
वो न जाने कहाँ तक मुझको आजमाएंगे
कहाँ तलक वो रास्तों में कांटे बिछाएंगे
मैं चलता रहूँगा इन पर बेपरवाहों की तरह
कम से कम उनके कलेजे तो ठंडे हो जाएंगे
वो न जाने कहाँ तक मुझको आजमाएंगे
कहाँ तलक वो रास्तों में कांटे बिछाएंगे
मैं चलता रहूँगा इन पर बेपरवाहों की तरह
कम से कम उनके कलेजे तो ठंडे हो जाएंगे