.वो नहीं अकेला
मिश्रित सा भाव है,
उत्साह और प्रेम का,
देखना तो भीतर है,
बाहर हाहाकार है,
चलना और रुकना भी,
सांसों से है जुड़ा,
परिक्रमा का मतलब,
रोम- रोम घूमना,
शब्द जाप व्यर्थ है,
मन शरीर से विलग,
कौन मैं ,का अर्थ है,
सत्य वर्तमान का,
जिसने स्वीकारा है,
कदमों में उसके ही,
झुकता जग सारा है,
क्रीडा में हार जीत,
त्याग कर जो खेला है,
ब्रम्हांड उसके साथ है,
वो नहीं अकेला है||