वो धीरे धीरे दिल को चुराकर चले गए
ग़ज़ल
वो धीरे धीरे दिल को चुराकर चले गए
अपने ही प्यार को वो रुलाकर चले गए
सताने लगे थे ख्वाब में आ करके वो मेरे
वो पास मेरे आए पर आकर चले गए
शम्मा दिलो में प्यार की बुझती नहीं कभी
वो दिल को मेरे जख्मी बनाकर चले गए
नयन में नयन डालकर बादे किए बहुत
महबूब के वादों को भुला कर चले गए
“कृष्णा”को बीच राह तू छोड़ना नहीं
जिसने किया था प्यार वो सारे छले गए