” वो तो सूरज है “
भूलो मत
की वो तो सूरज है
तुम कितना भी ढक लो
लाख कोशिशें कर लो
उसकी चमक फीकी करने की
उसके तेज को रोकने की
सारी कोशिशें नाक़ाम हो जायेगीं
तुम्हारी ऊँगलियाँ भी जल जायेंगीं
क्योंकि तुम अपने दंभ मे ये भूल गये
कि वो सूरज है
और तुम हो एक कलुषित सोच
तुम छल करोगे
उसकी खुबियों को छिपाने की
अपनी चालों से
उसकी रौशनी को दबाने की
लेकिन वो तो सूरज है
चमकना फितरत है उसकी
कुछ वक्त भले ही
तुम्हारे सोच की काली रात
उसको ढ़क ले
लेकिन वो तो सुरज है
किसी भी कोने अतरे से
बादल के हर क़तरे से
हर हाल में चमकेगा
हर हाल में दमकेगा ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 18/01/2020 )