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9 Feb 2021 · 1 min read

वो तो इंकार कर गए

मैं कर बैठा मोहब्बत
उस रश्ते से , उन गलियों से
यूं तो दीवारें कभी नापी ना थी
उफान पर था दिल
शायद इसलिए पार कर गए।

लहजा जल्दी उठने का भी न था
वो खटकती है अब तो,
मेरी सुबह अजान से,उसकी मुस्कान से
मान लिया था मैंने उसे अपना
इसलिए प्यार कर गए।

आज उसे कह दू, जो अजीज है
यूं तो दीवारें कभी नापी ना थी
इसलिए पार कर गए
मैं कर बैठा मोहब्बत
उस रश्ते से , उन गलियों से
वो तो इंकार कर गए।

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