****वो जीवन मिले****
जो मिला न कभी जीवन में
खुशनुमा वो नवजीवन मिले
कुम्हलाये सुमन उपवन में
पुष्पों से आच्छादित पथ मिले।
टूटती सी साँसों की लड़ियां
इक इक आस उम्मीद के लिये
बिखरता वो लम्हा लम्हा सा
खोया हुआ स्वर्णिम पल मिले
नेह को यूँ प्रतिपल तरसी
प्रेम का इक कतरा ना मिला
हिय हुआ तब मरुस्थल सा
बहता प्रेमदरिया कलकल मिले
थक गई कंटील पथ पर चलते
क्षीण सी हुई काया ढलते
छँटकर शूल राह से सारे
पथ वो सहज सरल ही मिले
तमस से घिरा सा वो जीवन जो
हर पल अंधियारों में बीता
टिमटिमाते सहस्त्र तारों से
दमकता इक नभ गगन मिले।।
✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक