वो जव भी याद आती है
वो जब भी याद आती है,मेरे दिल तड़पाती है।
वो सपने मे सताती है,हँसाती है रूलाती है।।
सुहानी सी सलिल सुंदर,मधुर वो गीत गाती है।
वो जुल्फो मे सुलाकरके,मुझे यूँ थपथपाती है।।
कभी वो दोड़कर आती है,कभी बाहो को फैलाती है।
कभी तो वादा करती है,कभी फिर तोड़ जाती है।।
आखिर समझौता कैसी है तुझे वो क्यो सताती है।
वो जब भी याद आती है,मेरे दिल को तड़पाती है।
कृष्णकांत गुर्जर धनौरा
तह-गाडरवारा