वो चुलबुली हसीन है पगली की तरह है।
चंद पंक्तियां देखिए
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मेरे रगों में दौड़ती बिजली की तरह है।
वो चुलबुली हसीन है पगली की तरह है।
मुझको मिली वो दूसरी उल्फत नसीब से ।
लेकिन वो प्यार देती तो पहली की तरह है।
है तल्ख़ वो मिजाज़ से मीठी जुबान से।
नखरिली सी अदाओं से इमली की तरह है।
नाजुक गुलाब जैसी है बागों में खिल रही।
रंगों से मेरी जान तो तितली की तरह है।
©®दीपक झा रुद्रा