वो कौन थी…?
वो कौन थी…?
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वो कौन थी…?
आई और चली गई !
दिल को मेरे…
ठेस पहुॅंचा गई !
अचानक ही
जज़्बातों से मेरे
टकड़ा गई !
वो कौन थी…?
उसने कुछ
कहना चाहा मुझसे
कुछ ऐसे गुण
दिखाई दिए मुझमें !
वो वक्त की मारी थी
या मैं ही था वक्त का मारा !
पर मैंने कुछ
सुलझा न सका माजरा !
वो कौन थी…?
बातों में उसकी
इक तड़प सी थी !
रंग रूप उसके
मनमोहक सी थी !
बोल उसके
मिठास भरी थी !
सोच उसकी
सकारात्मक ही थी ।
मजबूरियां उसकी
स्पष्ट दिख रही थी ।
पर उस मिठास में मैंने
खटास भर दिया ।
दिल जो उसका
तोड़ के रख दिया ।
वो कौन थी…?
परिस्थिति उसकी
अलग सी थी !
बातों में उसकी
कसक सी थी !
दूरदृष्टि उसकी
ग़ज़ब सी थी !
कायनातों के डर से
इक झिझक सी थी !
हालातों के कारण
वो विवश सी थी !
पर मेरी विवशता
उससे कहीं
ज़्यादा ही थी !
नियति को तो
यही मंजूर थी !
अलग हो गई
दोनों की राहें !
ख़त्म हो गई
चन्द मुलाकातें !
बस रह गई
उसकी ही यादें…
उसकी ही यादें…
अफ़साने बन कर
रह गये….
बीती सारी बातें !
बीती सारी बातें !!
वो कौन थी…?
स्वरचित एवं मौलिक।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 08-06-2021.
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