वो कॉलेज की खूबसूरत पलों के गुलदस्ते
वो कॉलेज की खूबसूरत पलों के गुलदस्ते
अब तो बस यादों में हैं बसते
वो खुली किताबें जो
आंखों में सजाते ढेरो सपने
वो रंगबिरंगे फूलों का मेला और
वो उनका गिरता संवरता बेला
कालेज की वो सीढियां
जिन्हे हम जल्दी चढ़ते
आज आंखो में आंसू लिए
हम धीरे धीरे हैं उतरते
वो कॉलेज की खूबसूरत पलों के गुलदस्ते
अब तो बस यादों में हैं बसते I
वो ऑडिटोरियम से आते
छन् छन् घुंघुरूवो की आवाज
तो कांफ्रेंस हाल से आते
मेंटेन योर डिसिप्लिन की आवाज
वो छोटी छोटी की हुई मस्तियां
अब लगती जैसे
बारिश में भीगती हुई कस्तियां
वो कॉलेज की खूबसूरत पलों के गुलदस्ते
अब तो बस यादों में हैं बसते II
ये तीन साल ऐसे हैं बीते
जैसे छतजे से कोई बूंद
जमीन पर गिरे
चाहत थी दोस्ती के
और पतझड़ साथ रह लें
पर पेड़ो की डालियां
सिर्फ एक ओर तो नहीं चलते
वो कॉलेज की खूबसूरत पलों के गुलदस्ते
अब तो बस यादों में हैं बसते III
अभी तो फ्रेशर थे हम
फेयरवेल का दिन आ गया
हंसते थे ,
रोना आ गया
जाते जाते ये है कहना
हो सके तो महक हमारी
अपनी यादों में बिखेरे रखना
हम, पुराने गीतों को भी
गुनगुनाए रखना।