वो काली रात…!
वो काली रात…!
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जश्न की वो काली रात,को याद कर ,
सिहर उठता है ये तन मन इस कदर ।
2 मई 2021 की वो भयानक रात ,
कोई कैसे भूल सकता है जीवन भर ।
सब कुछ प्रायोजित था उस जमीं पर ,
लुटता रहा हर वो शख्स जानबूझकर ।
जिसने भी आवाजें उठाई थी,जुल्म के खिलाफ,
मिट गया था वो, हर चौक चौराहे पर ।
ये वो क्षण था जब, धरा भी जी भर रोई थी ,
चैतन्य महाप्रभु की बंगभूमि कहाँ सोई थी ।
आगजनी,हिंसा और बलात्कारों से पुरी रात ,
उन जल्लादों ने,नोआखाली की यादें दिलाई थी।
जीत की खुशी में कैसी, वो वीभत्स रात थी ,
सोचो तो प्रजातंत्र के सिर पर कैसी ये घात थी।
धमकियां दे रही थी जो ,अर्द्धसैनिक बलों को पहले से ,
कह रही थी कि, ये तो खेला होबे की बस एक टेलर थी।
हम सनातनियों के सौहार्द की, देखो तो मिसाल ,
जीत जोश है पूरे यूपी में,फिर भी किसी की क्या मजाल।
जो खून की एक छींटे भी,गिरा दे इस पावन भुमि में ,
फिर भी वो कह रही कि,हम है पीएम मैटेरियल कमाल।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १२ /०३ /२०२२
फाल्गुन ,शुक्ल पक्ष, नवमी,शनिवार ।
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201