वो क़ुदरत का दिया हुआ है,
वो क़ुदरत का दिया हुआ है,
उनमें जो है भरा ज़हर।
अब विषधर हैं बहुत ग्लानि में,
इंसानों से तुलना पर।।
■प्रणय प्रभात■
वो क़ुदरत का दिया हुआ है,
उनमें जो है भरा ज़हर।
अब विषधर हैं बहुत ग्लानि में,
इंसानों से तुलना पर।।
■प्रणय प्रभात■