वो एक बिजली सी….. !!
वो मेरे दिल के बादल मे, छुपी एक बिजली हैं,
उसकी चमक पाते ही ये, दिल- ऐ -बादल जोरों से धड़कता है!
वो बिजली -सी ही हैं, जो मेरे दिल पे यूँ गिरती है,
तेज़ करारे तीरो से ना जाने कितने ही घायल करती हैं!
उसके नूर का रुखसार, ऐसा गजब चमकता हैं,
जिसे देख मैं जीता हूँ, अपनी जान ऩ्यौछावर करता हूँ!
वो नजरो की तेज़ कटारे मुझपे ऐसे छोड़ती हैं,
घायल होता हैं दिल बेचारा, वो लबों से उफ्फ ना करती हैं!
जब -ज़ब मेरे दिल का बादल, जोरों से गरजता हैं,
उसके आने का अंदाजा दिल, चुपके से मुकम्मल करता है !
घनघोर गरजते बादल से, ज़ब रिमझिम बारिश होती है,
तब -तब बिजली की चाहत मे, ख़ामोशी सी झलकती हैं,!
ज़ब मानसून दिल का, रफ़्तार धीमी करता है,
मासूम सी गुड़िया का मन.. दिल से सुकून अदा करता हैं !
वो शख्स आजकल मेरे लिए, दिलो जान से तड़पती है,
वो मेरे लिए ही गरजती हैं.. वो मेरे लिए ही चमकती हैं… !!
वो बिजली -सी ही हैं, जो मेरे दिल पे यूँ गिरती है।।