वो एक दिन।
वो एक दिन
जिसके इंतज़ार में हमने
हज़ार रातें रो रो काटी हैं
उससे कहना कि जिसने चाहा था
उस एक दिन को हज़ार रातों में
हयात ए बेसबाती लाया था
हयात ए जावेदां नहीं लाया
अब तू खुद पर ही फातेहा पढ़ ले
तेरे मुन्तज़िर तो जाने कहाँ
किस खाक में मिले..