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25 Jan 2024 · 1 min read

मजबूरी तो नहीं तेरा आना

तुम्हारे फूल से चेहरे को जब छूता
इन बेरहम बेजान उँगलियों से
कुछ घबराई सी सकुचाई क्षण भर को तुम मुरझा सी जाती हो
खुद को सभालते समझाते पलट पड़ती हो चेहरे में फीकी सी हँसी ओढे
कि शायद मैं न बुरा मानू कि तुमको बुरा लगता है इस तरह मेरा छूना
मन थर्रा सा जाता है कहीं मजबूरी तो नहीं कोई मेरे जीवन मे तेरा आना
स्व रचित मौलिक रचना
M.Tiwari”Ayan”

Language: Hindi
46 Views
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