वो इश्क है किस काम का
वो इश्क है किस काम का,
जो सोए जज्बात ना जगाए।
वो हुस्न है किस काम का,
जो जिस्म में आग ना लगाए,
अगर हुस्न को इश्क हो जाए,
फिर तो सोने में सुहागा हो जाए।।
वो जवानी है किस काम की,
जो इसका इजहार ना कर पाए।
वो आशिक है किस काम का,
जो महबूबा का इंतजार ना कर पाए,
इजहार और इंतजार जब दोनो करने लगे,
फिर तो खुदा भी उनको रोक न पाए।।
वो पैसा है किस काम का,
जो किसी के काम ना आए।
वो इंसान है किस काम का,
जो इंसान के काम नाआए।
अगर पैसा इंसानियत से जुड़ जाए,
फिर तो सोने में सुहागा ही हो जाए।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम