वोटों की खातिर …
वोटों की खातिर ,
हिंदुओं को खुश करने को मंदिर बनवा दिए ,
मुसलमानो को खुश करने को ,
पशु संहार तक करवा दिया।
सब वोटों की खातिर ..
किसान यूनियन की अनगर्ल मांगें भी मान ली,
और उन पर सारे अभियोग भी निरस्त कर दिए।
सब वोटों की खातिर ..
बेघर लोगों को आश्रय दिलवा दिया और कंबल ,
बंटवा दिए ।
बेरोजगारों को नौकरी दिलवा दी ।
वोटों की खातिर ..
गुंडे मवालियों को नाटकीय तौर पर हिरासत में ले लिया।
महिलाओं के लिए आकर्षक कानून बना दिए ।
वोटों की खातिर ..
जनता की आलोचनाओं भी सुन ली ,
विपक्षी दल के अपशब्द भी सुन लिए।
क्या क्या नहीं करना पड़ता वोटों की खातिर ,
ईमान से उठना पड़ेगा ,
तो ईमान से गिरना भी पड़ेगा।
वोटों की खातिर ..
अतिरिक्त कमाई करनी भी पड़ेगी ,
तो कमाई डूबेगी भी ।
जनता से वोट लेना कोई आसान काम नहीं है जी !
आप नही जानते ,वोटों किया गिड़गिड़ाना भी पड़ता है।
भीख का कटोरा ले कर ,अनुनय विनय कर ,
उस पर उलाहने सुनते हुए घर घर ,गांव गांव घूमना पड़ता है ।
कोई आसान काम नही वोट कमाना ।
कहते है जरूर है हम वोटों के लालची नही है ।
मगर वास्तव में वोटों के गरज मंद जरूर है ।
वोटों की खातिर हर उम्र ,भाषा,क्षेत्र ,धर्म के लोगों
को खुश करना बहुत जरूरी है।
मीठी मीठी ,लच्छेदार ,लुभावनी भाषाओं का प्रयोग
भी सारी जनता को प्रभावित करने के लिए बहुत
जरूरी है।
भाषण से हो तो सबको खुश करना है।
इसीलिए भाषण उच्च कोटि का तो होना ही चाहिए ।
वरना वोट नहीं मिलेगा ।
और वोट बहुत जरूरी है ।
हमारा जीवन वोटों को खातिर…