वैशाली
वैशालीक नगर वुधु आ मिथिले संस्कार,
ई वैशाली जनम लियौ,भगवान धारा,वैशाली
जतह गुरुहे महावीरक जन्म देला ,वैशाली |
विदेहक छातीया, शांतिक दुआर,
आध्यात्मिक जगत ताबहिसँ ओहिमे बसल जतेए ।
जैन धर्मके कव्योमे लोके ई गीत मुधुर आओ हे,
अहि पवित्र धरा जे सबकेँ प्रेमरस तोहे चाही।
अतय महावीर के ,जीनगीक दर्शन भेटल,
सत्य आ करम के सनेस देला वैशाली ।
जन्मियेसँ विधुर विशाल रहल
धर्मक धारा संदेश हमर तुहो रहल छि
धिये आ दुलरी सिये तुहो रहेछि ।
प्रकाश अंजोर देखे हरिमे रमैत हे,
ध्यानक गंगा अहि भूमि पर बहैत हे ।
गंन्नतंर पहिल जे, प्रिय हे,
कतैक नहि एहि पर, जन्म लिऔ वैशाली ।
सदियोके खिस्सा हर कण में विराजित हमर,
धर्म जन्म लिऔ, पवित्र महिमा महान।
कविक हियमे आबैत शब्दक धारा,
विदेह धरामे सभ किछु प्रिय हे ।
अहि धराक एक-एक कण सत्यक अभियौ हे,
जखन कवि कोकिल देला ई सबसँ बेसी विशिष्टहे ।
विदेहक विशाल अद्वितीय, अपार,
एहि पर कवि अखनो बहुत प्रेम लिखैत छी ।
—श्रीहर्ष