वैलेंटाइन
झूठे प्यार में ऐसे फांसते शर्म तुम्हें आती नहीं
अपने आप को आशिक कहते ये तुम्हें भाती नहीं
इस दिन क्या होता है जापानीस पार्क में देखा है
सच्चे प्यार की उम्मीद ना करना मैने ऐसा देखा है
वैलेंटाइन डे करते हो शर्म तुम्हें आती नहीं
ऐसा फादर्स डे पर करो वह तुम्हें भाती नहीं
झूठे प्यार में ऐसे फांसते शर्म तुम्हें आती नहीं
पापा की परी छोड घर को जापानीस पार्क में जाती है
वहां क्या क्या गुल खिलाया मैने सहेलियों को बताती है
झूठे प्यार को प्यार कहे ऐसा वैलेंटाइन
सच्चा प्यार कहां मिलेगा ढूंढे सच्चा इंसान
प्यार मोहताज नहीं है ऐसे वैलेंटाइन डे को
अगर तुम्हें यही करना है तो छोड़ो ऐसे भांडो को
कहे “आलोक” प्यार करो ऐसी महान आत्मा से
जिस का दर्जा इतना ऊंचा है उस परमात्मा से
माता पिता नाम है उनका जिनके दर्जा जैसा कोई नहीं
अपनी इज्जत आबरू को संभालो आज तक खोई नहीं
झूठे प्यार में ऐसे फांसते शर्म तुम्हें आती नहीं
अपने आप को आशिक कहते ये तुम्हें भाती नहीं
…✍️ आलोक वैद “आजाद”
एक छोटा सा लेखक