वैलेंटाइन डे
तू जी रही क्यों आख़िर
ऐसे मन को मारकर
प्यार कर प्यार कर…
किस सोच में ऐसे पड़ी
सामने ज़िंदगी खड़ी
इतनी जल्दी बैठ मत
मुश्किलों से हारकर
प्यार कर प्यार कर…
एक कल तो चला गया
और दूसरा आया नहीं
उस कल के लिए अपना
आज मत बेकार कर
प्यार कर प्यार कर…
चारों तरफ़ बहार है
किसका इंतज़ार है
दामन में आए फूल जो
अब उसे स्वीकार कर
प्यार कर प्यार कर…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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