Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2017 · 1 min read

वैधव्य

वैधव्य का अर्थ ,
सिर्फ एक जीवन का अंत नहीं,
वैधव्य बताता है कैसे धकेला जाता है,
जीवन को मृत्यु की ओर,
कैसे बदला जाता है ,
चमचमाती कांच की चूड़ियों को,
प्लास्टिक या सीप के बने छल्लों में,
इंद्रधनुषी रंगों से सजे वस्त्र,
शांत सफेद रंग में बदल जाते अचानक,
कल तक शुभ शकुन करते हाथ,
कांपने लगते अनिष्ट की आशंका से,
ऐसा क्या बदल गया,
वही तो हुआ जो शास्वत सत्य है,
जितना चाँद ,तारों और सूरज का प्रकाश,
उतना ही जीवन और मरण दौनों,
फिर एक मृत्यु दूसरे जीवन पर भार क्यों?
जीवित जीवन एक अभिशाप क्यों?
प्रकृति और पुरुष पूरक हैं एक दुसरे के,
फिर वैधव्य का भार सिर्फ अर्धांग पर क्यों,
वैधव्य का भार सिर्फ स्त्री पर क्यों।
वर्षा श्रीवास्तव “अनीद्या”

Language: Hindi
386 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
कवि रमेशराज
हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ थे डा. तेज सिंह / MUSAFIR BAITHA
हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ थे डा. तेज सिंह / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
सहचार्य संभूत रस = किसी के साथ रहते रहते आपको उनसे प्रेम हो
सहचार्य संभूत रस = किसी के साथ रहते रहते आपको उनसे प्रेम हो
राज वीर शर्मा
न काज़ल की थी.......
न काज़ल की थी.......
Keshav kishor Kumar
राग द्वेश से दूर हों तन - मन रहे विशुद्ध।
राग द्वेश से दूर हों तन - मन रहे विशुद्ध।
सत्य कुमार प्रेमी
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
कुछ नहीं बचेगा
कुछ नहीं बचेगा
Akash Agam
गाँव कुछ बीमार सा अब लग रहा है
गाँव कुछ बीमार सा अब लग रहा है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
वफा करो हमसे,
वफा करो हमसे,
Dr. Man Mohan Krishna
" हय गए बचुआ फेल "-हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ऐ मेरी जिंदगी
ऐ मेरी जिंदगी
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
singh kunwar sarvendra vikram
हरि हृदय को हरा करें,
हरि हृदय को हरा करें,
sushil sarna
लोग चाहते हैं कि आप बेहतर करें
लोग चाहते हैं कि आप बेहतर करें
Virendra kumar
हाथों में डिग्री आँखों में निराशा,
हाथों में डिग्री आँखों में निराशा,
शेखर सिंह
"गुलशन"
Dr. Kishan tandon kranti
झूठ का अंत
झूठ का अंत
Shyam Sundar Subramanian
मोहब्बत शायरी
मोहब्बत शायरी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
कई बात अभी बाकी है
कई बात अभी बाकी है
Aman Sinha
चित्रगुप्त सत देव को,करिए सभी प्रणाम।
चित्रगुप्त सत देव को,करिए सभी प्रणाम।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
"अगर हो वक़्त अच्छा तो सभी अपने हुआ करते
आर.एस. 'प्रीतम'
हर बात हर शै
हर बात हर शै
हिमांशु Kulshrestha
■ सियासी ग़ज़ल
■ सियासी ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
इक उम्र जो मैंने बड़ी सादगी भरी गुजारी है,
इक उम्र जो मैंने बड़ी सादगी भरी गुजारी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अव्दय
अव्दय
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
*अमूल्य निधि का मूल्य (हास्य व्यंग्य)*
*अमूल्य निधि का मूल्य (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
कब तक अंधेरा रहेगा
कब तक अंधेरा रहेगा
Vaishaligoel
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
Sanjay ' शून्य'
2362.पूर्णिका
2362.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
त्यागकर अपने भ्रम ये सारे
त्यागकर अपने भ्रम ये सारे
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Loading...