वैज्ञानिकता कहीं खो गई
वैज्ञानिकता कहीं खो गई !
वैज्ञानिकता कहीं खो गई अजब-गजब पाखंडों में।
आज मशीनें बता रहीं हैं…..क्या है चेतन के अंडों में ?
अब ‘ज्ञानबोधिनी’ लुप्त हो गई मरकट लाठी डंडों में।
कारण हैं बहुत प्रदूषण के पर दिखें पराली,कंडों में।
मानव समाज विघटित होके बंटा हुआ खंडों खंडों में।
उठ गया उसूलों पर विश्वास श्रद्धा उतर गई झंडों में।
अणु बम के बल युद्ध ठनें हैं शक्ति नहीं भुज दंडों में।
ज्ञानी विज्ञानी घटे बहुत अरु हुई बढ़ोत्तरी तर्कन्डों में।
आय बढ़ी संसाधन बढ़ गए तो हुई बढ़ोत्तरी फंडों में।
थे खनिज, वसा, प्रोटीन चहेते अरु श्रद्धा थी मंडों में।
सब्जी, दूध ,दाल ,फल भूले श्रद्धा बढ़ी मांस,अंडों में।
आज मशीनें बता रहीं हैं…..क्या है चेतन के अंडों में ?
वैज्ञानिकता कहीं खो गई अजब-गजब पाखंडों में।