वेवफाई इश्क में
उल्फत को मेरी वो नजरअंदाज कर गया
और भरी महफिल में मुझे बदनाम कर गया
खुद ही बीच राह छोड़ कर गया वो
पर मेरा ही नाम वेवफा रख गया
पहचान मेरी छीनकर वो ” सागर ”
अजनबी शहर में वेनाम कर गया
वनाया था जिसने ख्वाबों का महल
वही अपने पैरों से उसे कुचल कर गया
सजाया था जो ताज सिर पर उसने
वो उसी पर ही चलकर गुजर गया
जिसनें जलाई थी रोशनी को मशाल
वही जीवन में अंधेरा कायम कर गया
उंगली पकड़ चलना सिखाया उसने
वही पैरोंतले की जमींन को ही ले गया
उसके किरदार में ही था धोखा देना
वो उसे वखूबी निभा कर चला गया
वेखॉफ शायर :-
? राहुल कुमार सागर ?
बदायूंनी