वेदना
‘वेदना’
कष्ट का पर्याय नहीं
अपितु
‘शक्ति’ का स्रोत है।
एक अलौकिक शक्ति,
जो बनाती है,
मानव को दृष्टा,
‘प्रसव-वेदना’ को ही लें
क्या यह सत्य नहीं
बनती है ‘माँ’
एक ‘मातृ-शक्ति’।
तपते हुए
कनक को देखें
क्या यह सत्य नहीं
वह ‘कुंदन’ बन जाता।