*वृद्ध-जनों की सॉंसों से, सुरभित घर मंगल-धाम हैं (गीत)*
वृद्ध-जनों की सॉंसों से, सुरभित घर मंगल-धाम हैं (गीत)
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वृद्ध-जनों की सॉंसों से, सुरभित घर मंगल-धाम हैं
1)
वृद्धों के आशीषों की, बरसात जहॉं होती है
कृपा सर्वसुख की दाता, सुखमयी रश्मि बोती है
धन्य-धन्य घर वृद्धों को, जिन में हर रोज प्रणाम हैं
2)
बूढ़ों की तन से अशक्त, रोगी-सी दिखती काया
नमन-नमन वह यौवन जो, उनकी सेवा कर पाया
धन्य बुढ़ापे की लाठी जो, बनकर करते काम हैं
3)
वंदनीय वह घर जिसमें, बूढ़े श्रद्धा से सोते
पलक-पॉंवड़े बिछा बहू, बेटे आनंदित होते
तीन पीढ़ियॉं साथ-साथ, देखो रहतीं निष्काम हैं
4)
बूढ़ों के है पास याद, इतिहासों की बस झॉंकी
धन्य-धन्य परिवार नमन, कीमत जिसने यह ऑंकी
वृद्धों की पूजा से ही, मिलते सात्विक परिणाम हैं
वृद्ध-जनों की सॉंसों से, सुरभित घर मंगल-धाम हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615 451