वीर हनुमान
पवनपुत्र बजरंगबली श्री राम के सच्चे सेवक थे।
और राम के ही चरणों के वे सच्चे आराधक थे।।
मीलो योजन सागर को भी पलक झपकते पार किया।
लंकापुरी में बैठे सारे दुष्टो का संहार किया।।
साहस बुद्धि बल विवेक के वे सच्चे प्रतिमान है।
भगवान राम के ध्वज को थामे हुए वीर हनुमान है।।
असुर पास ना आ पायेंगे उनका सुमिरन करने से।
सर्वसिद्धिया आती है हनुमान चालीसा पढ़ने से।।
जबभी लिखना हो कमेंट में सब भगवान का नाम लिखे।
इस कविता के भी कमेंट में सब जय जय श्री राम लिखे।।
जय श्री राम
कवि राहुल कुम्भकार ब्यावरा
मो.7354764545