वीर सेनानी – मुक्तक
(१)तिरंगा हाथ में लेकर, चले हैं वीर सेनानी।
दमन शत्रु का करने की, जिगर में बात है ठानी।
फौलादी इरादे हैं, इन्हें क्या रोक पाओगे,
मौत ऐसी तो मारेंगे ,मिलेगा तुमको ना पानी ।।
(२) पीर कश्मीर की अब तो, मिटा करके ही दम लेंगे।
कष्ट दुष्टों से पाया जो ,खत्म उनको तो कर देंगे।
संभल जाओ, सुधर जाओ ,अमन के दुश्मनों सारे,
जोश में हैं मेरे सैनिक ,तुम्हारे पर कतर देंगे ।।
राजेश व्यास अनुनय