वीर साहिबजादे
वीर साहिबजादे
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नहीं छोड़ेंगे कभी धर्म अपना ,
चाहे दीवार में चिनवा दो ,
धरा से व्योम तक की ये गूंज ,
अब सबको सुनवा दो।
अन्याय का सदा ही करेंगे प्रतिकार ,
जोरावर और फतेह ने भरी थी हुंकार ।
“सिर दिया शेर न दिया के नारे से”
गूंजा था पूरा वतन।
कहा था जब इन बालकों ने,
” प्राणों से प्यारा है मुझे अपना सनातन ”
सुनकर वजीर खां को गुस्सा आया ,
उन्होंने जल्लादों से दीवार में चिनवाया।
अजीत सिंह और जुझार सिंह तो,
पहले ही वीरगति को प्राप्त हुए थे।
कर लिया था जो मन में प्रण ,
याद रखेगी सदा ये वतन।
गुरु गोविंद सिंह के चारों बेटे ,
शहीद हो गए लड़ते-लड़ते ।
चमकौर के युद्ध की यह कहानी ,
भूलेगी नहीं ये धरती वीर बलिदानी।
मौलिक एवं स्वरचित
मनोज कुमार कर्ण